नगर विकास विभाग ने निकायों के स्तर पर होने वाली नियुक्तियों की व्यवस्था में बदलाव कर दिया है। इसके तहत अब ठेके या संविदा पर कर्मचारी रखने से पहले निकायों को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेजना होगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही कर्मचारी रख सकेंगे।
दरअसल मौजूदा व्यवस्था के तहत प्रदेश में निकायों के स्तर पर जरूरत के आधार पर संविदा और ठेके पर कर्मचारियों को रखा लिया जाता है। इसमें बड़े स्तर पर खेल होने की शिकायत सामने आती है। सबसे अधिक शिकायतें कम कर्मचारी रखकर अधिक कर्मचारियों के मानदेय का भुगतान करने को लेकर हैं। शासन स्तर गोपनीय तरीके से इसकी जांच भी कराई गई थी। इसके आधार पर शासन ने अब यह तय किया है कि निकायों में संविदा या ठेका पर कर्मचारियों की नियुक्ति करने से पहले सक्षम स्तर से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा।
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इस संबंध में स्थानीय निकाय निदेशालय की ओर से सभी नगर निकायों को तत्काल इस व्यवस्था को लागू करने के निर्देश भेज दिए गए हैं। साथ ही संविदा पर रखे गए कर्मचारियों का मनमाने तरीके से मानदेय रोकने की शिकायतों पर भी शासन ने तय किया है कि ऐसा करने से पहले कारण बताना अनिवार्य होगा। बिना वजह किसी का वेतन नहीं रोक जा सकेगा। स्थानीय निकाय निदेशालय ने निकायों से वेतन के संबंध में जानकारी मांगी है।

संयुक्त निदेशक स्थानीय निकाय ने निकायों से इस संबंध में पूरी जानकारी मांगी है। इसमें कहा गया है कि निकायों में कार्यरत सभी प्रकार नियमित, संविदा, दैनिक, आउटसोर्स यानी ठेके पर रखे गए कर्मियों को वेतन भुगतान की क्या स्थिति है। इन्हें वेतन देने में किसी तरह की कोई बाधा तो नहीं आ रही है। इसकी पूरी जानकारी निदेशालय को दी जाए।
संविदा कर्मियों की आए दिन शिकायते आ रही हैं
आए दिन ये शिकायतें आती रहती हैं कि इन कर्मियों को समय पर वेतन नहीं मिलता है। इसको लेकर धरना प्रदर्शन तक होता रहा है। नियमत: इन्हें रखने से पहले मानदेय देने के लिए बजटीय व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके बाद भी मनमानी करते हुए कर्मियों को रख लिया जाता है। इसीलिए उच्च स्तर पर यह तय किया गया कि अब जरूरत के आधार पर ही कार्मिकों को रखा जाए और अनावश्यक वेतन न लटाया जाए।
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आउटसोर्स कर्मियों के शोषण पर लगेगी लगाम
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने आउटसोर्स कर्मचारियों की न्यूनतम मजदूरी तय करने व उनके लिए नीति बनाने के शासन के निर्णय का स्वागत किया है। परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने कहा है कि इस नई नीति के बनने के बाद आउटसोर्स कर्मियों के शोषण पर लगाम लगेगी।
उन्होंने बताया कि परिषद का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पिछले दिनों मिला था। इसमें आउटसोर्स कर्मचारियों का मुद्दा प्राथमिकता के साथ उठाया गया था। इसी क्रम में शासन की ओर से प्रक्रिया शुरू की गई है। सेवायोजन विभाग की नीति को कैबिनेट की हरी झंडी का इंतजार है। इसके जारी होने के बाद आउटसोर्स कर्मचारी को न्यूनतम मानदेय भी मिलेगा।
परिषद सचिव अरुणा शुक्ला ने कहा कि विभिन्न विभागों में रखे संविदा कर्मचारियों का विभागीय उत्पीड़न बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी समाज कल्याण विभाग में दो साल में 16 संविदा शिक्षकों की संविदा समाप्त की जा चुकी है। जनजाति विकास विभाग की उपनिदेशक ने इसी साल आठ संविदा शिक्षकों को संविदा से निकाले जाने का नोटिस जारी कर दिया है। उन्होंने इस उत्पीड़न को रोकने की मांग की है।
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