लखनऊ: प्रदेश की प्रस्तावित आउटसोर्सिंग कर्मियों की नीति को लेकर मंगलवार को श्रम एवं सेवायोजन विभाग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष प्रजेंटेशन दिया गया। श्रम विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार तृतीय ने प्रस्तुतिकरण देते हुए पॉलिसी के प्रावधानों को सिलसिलेवार सीएम के समक्ष रखा। कुछ और बदलावों के साथ अब जल्द विभाग की ओर से दोबारा प्रजेंटेशन दिया जाएगा।
बता दें कि प्रदेश में पहली बार आउटसोर्सिंग के जरिए नौकरी पाने वालों का शोषण रोकने के लिए यूपी सरकार नई नीति लाने जा रही है। प्रस्तावित नई नीति में समूह ग व घ के पदों पर चयन के लिए संबंधित विभाग द्वारा शैक्षिक योग्यता तय की जाएगी।
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इस आधार पर आउटसोर्सिंग कर्मियों का होगा चयन
सुपरवाइजरी और तकनीकी पदों पर कार्य करने वाले कर्मियों के चयन में शैक्षिक योग्यता और प्रशासकीय विभाग द्वारा अनुभव और साक्षात्कार का भारांक तय करते हुए चयन किया जाएगा। साक्षात्कार के अंक परीक्षा के कुल अंकों के अधिकतम 20 प्रतिशत तक होंगे और साक्षात्कार में सम्बन्धित विभाग के प्रतिनिधि भी अनिवार्य रूप से उपस्थित होंगे जिससे चयन की कार्यवाही में पारदर्शिता बनी रहे।

कार्मिक को हटाने में नहीं चलेगी एजेंसियों की मनमानी
आउटसोर्सिंग कार्मिकों को बिन कारण हटाकर उनका शोषण करने की समस्या खत्म करने के लिए यह तय हुआ है कि विभाग की सिफारिश पर ही किसी कार्मिक को सेवाप्रदाता सेवा से हटा सकेगा, वे अपनी मर्जी से नहीं।
आउटसोर्सिंग के आवेदन के समय पोर्टल पर अपलोड करने होंगे प्रमाण पत्र
चयन प्रक्रिया में प्रतिभाग करने वाले कुछ अभ्यर्थियों की शैक्षिक योग्यता व अनुभव प्रमाणपत्र उनके द्वारा पोर्टल पर उल्लिखित विवरण के अनुसार नहीं होने पर चयन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। इस समस्या के समाधान के लिए सेवायोजन पोर्टल पर अभ्यर्थियों द्वारा पंजीकरण के समय शैक्षिक योग्यता, कौशल व अनुभव के विवरणों के सहायक प्रमाणपत्रों को अनिवार्य रूप से पोर्टल पर आउटसोर्सिंग के लिए आवेदन करते समय अपलोड कराया जाएगा।
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